प्रकाशक का वक्तव्य

 

    इस पुस्तक में जीवन और योग के बारे में माताजी के विभिन्न वक्तव्य संग्रहीत हैं । ये मुख्य रूप से सार्वजनिक वक्तव्यों, व्यक्तिगत पत्र-व्यवहार और टिप्पणियों से लिये गये हैं । कुछ ध्वन्यांकित टिप्पणियां भी हैं । कुछ में माताजी की बातचीत है जिसे साधकों ने लिख लिया और माताजी को दिखाकर उनकी स्वीकृति ले ली थी । जो वक्तव्य सुनकर बाद में लिख लिये गये हैं उनके नीचे यह चिहन दिया जा रहा है । उसी तरह जहां अंग्रेजी में कैपिटल लैटर हैं वहां हिन्दी पर्याय के साथ एक उद्धरण चिहन दिया गया है ।

 

    इनमें से बहुत-सी टिप्पणियां आश्रम के विविध प्रकाशनों में छप चुकी हैं जो बहुत-सी फ्रेंच में हैं कुछ अंग्रेजी में ।

 

    पुस्तक को विभिन्न भागों में बांटा गया है पर यह जरूरी नहीं है कि एक विषय के सभी वक्तव्य एक भाग में आ गये हों । ऐसे वक्तव्यों की कमी नहीं है जिनमें एक से अधिक विषय आ गये हों ।

 

     ११५४-५५ के एक-एक पंक्तियों के बहुत-से वक्तव्य स्वयं माताजी ने अपनी पुस्तक ''प्रार्थना और ध्यान'' में से चुनकर लोगों को लिखकर दिये थे । कई संक्षिप्त परिभाषाएं वास्तव में फूलों को दिये गये अर्थ और उनकी व्याख्या है

     पाठकों को इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिये कि इन पत्रों, टिप्पणियों या वक्तव्यों को प्रकाशन के लिए या सिद्धान्त निरूपण के लिए नहीं लिखा गया था । इनमें से अधिकतर विशेष व्यक्तियों को विशेष परिस्थितियों में दिये गये आदेश निर्देश और परामर्श हैं ।